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Dr Vinod Raina

Delhi, India

Secondary Diseases in HIV/Aids
एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस) संक्रमण की एक प्रगति होती है, जो धीरे-धीरे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देता है। यदि एचआईवी का इलाज न किया जाए, तो यह एड्स (एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम) में बदल सकता है। एचआईवी से एड्स में बदलने की प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण होते हैं:

प्रारंभिक संक्रमण (एक्यूट एचआईवी संक्रमण):
एचआईवी के संपर्क में आने के कुछ हफ्तों के भीतर, व्यक्ति को फ्लू जैसे लक्षण हो सकते हैं, जैसे बुखार, सिरदर्द, थकान, और गले में खराश। यह चरण 2-4 सप्ताह तक चल सकता है।
इस चरण में वायरस तेजी से बढ़ता है और रक्त में एचआईवी की मात्रा (वायरल लोड) बहुत अधिक होती है।

अस्पष्ट संक्रमण (क्लिनिकल लेटेंसी):
इस चरण को "क्रॉनिक एचआईवी" भी कहा जाता है। यह चरण कई वर्षों तक (औसतन 10 साल तक) चल सकता है, जिसमें कोई या बहुत कम लक्षण होते हैं।

एचआईवी धीरे-धीरे प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता रहता है। यदि एंटीरेट्रोवायरल थैरेपी (ART) शुरू की जाती है, तो यह चरण लंबे समय तक रह सकता है और व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है।

एड्स (AIDS):
एड्स वह स्थिति है, जब एचआईवी संक्रमण के कारण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इतनी कमजोर हो जाती है कि वह सामान्य संक्रमणों और बीमारियों से लड़ने में सक्षम नहीं रह जाती।

एड्स की पहचान आमतौर पर तब होती है जब व्यक्ति की CD4 T-सेल गिनती 200 कोशिकाएं/मिलीमीटर से कम हो जाती है या उसे एचआईवी से संबंधित विशिष्ट बीमारियां हो जाती हैं, जैसे कि कापोसी सारकोमा, तपेदिक, न्यूमोनिया, आदि।

Secondary Diseases
एचआईवी/एड्स के कारण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है, जिससे व्यक्ति विभिन्न प्रकार की सेकेंडरी (द्वितीयक) बीमारियों के प्रति संवेदनशील हो जाता है। इनमें से कुछ प्रमुख बीमारियां और संक्रमण निम्नलिखित हैं:

तपेदिक (टीबी): एचआईवी से संक्रमित व्यक्तियों में तपेदिक होने की संभावना अधिक होती है। यह एक गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण है जो फेफड़ों को प्रभावित करता है।

न्यूमोनिया: यह फेफड़ों का एक संक्रमण है, जो एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों में सामान्यतः पाया जाता है।

कैंसर: एचआईवी/एड्स के मरीजों में कुछ प्रकार के कैंसर जैसे कापोसी सारकोमा और नॉन-हॉजकिन्स लिम्फोमा अधिक होते हैं।

क्रिप्टोस्पोरिडियोसिस: यह एक परजीवी संक्रमण है जो आंतों को प्रभावित करता है और डायरिया का कारण बनता है।

टोक्सोप्लाजमोसिस: यह एक परजीवी संक्रमण है जो मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है।
कैंडिडिआसिस: यह यीस्ट संक्रमण है जो मुख, गला, या योनि को प्रभावित करता है।

क्रिप्टोकोकस नियोफॉर्मन्स: यह फंगल संक्रमण है जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित कर सकता है।

साइटोमेगालोवायरस (CMV) संक्रमण: यह वायरस आंखों, फेफड़ों, पाचन तंत्र और अन्य अंगों को प्रभावित कर सकता है।

हर्पीस सिंप्लेक्स वायरस (HSV) संक्रमण: यह त्वचा, मुंह और जननांगों पर छाले और घाव कर सकता है।

मायकोबैक्टीरियम एवियम कॉम्प्लेक्स (MAC) संक्रमण: यह बैक्टीरिया का एक समूह है जो शरीर के विभिन्न हिस्सों में संक्रमण कर सकता है।

एचआईवी से एड्स के संक्रमण की प्रक्रिया को रोकने के उपाय:
एंटीरेट्रोवायरल थैरेपी (ART): यह एचआईवी का प्रमुख उपचार है, जो वायरस को दबाने में मदद करता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाए रखता है। नियमित ART लेने से एचआईवी संक्रमण को एड्स में बदलने से रोका जा सकता है।

स्वास्थ्य निगरानी: नियमित चिकित्सा जांच और परीक्षण से एचआईवी की प्रगति को मॉनिटर करना और समय पर हस्तक्षेप करना संभव होता है।

स्वस्थ जीवनशैली: संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद, और तनाव प्रबंधन से प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाए रखा जा सकता है।

संक्रमण से बचाव: अन्य संक्रमणों से बचने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए, जैसे कि स्वच्छता का ध्यान रखना और टीकाकरण।

एचआईवी / एड्स संक्रमित या संक्रमण का खतरा महसूस कर रहे है तोह आज ही दिल्ली के सर्वोत्तम एचआईवी स्पेशलिस्ट (HIV Specialist in Delhi) डॉ विनोद रैना से संपर्क करें।

डॉ. विनोद रैना, एचआईवी स्पेशलिस्ट
पता: इ-34 एकता अपार्टमेंट साकेत, नई दिल्ली – 110017
फ़ोन नंबर: 9873322916, 9667987682


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Dr Vinod Raina

Delhi, India

इरेक्टाइल डिसफंक्शन (Erectile Dysfunction)
इरेक्टाइल डिसफंक्शन एक मेडिकल स्थिति है जो पुरुषों को यौन संबंध स्थापित करने में समस्या का सामना करवाती है। इस स्थिति में पुरुष अपने लिंग को उत्तेजित और बनाए रखने में कठिनाई महसूस करते हैं, जिससे वे यौन संबंधों के दौरान संतुष्टि प्राप्त नहीं कर पाते। यह समस्या अधिकतर वयस्क पुरुषों में होती है, लेकिन किसी भी उम्र में हो सकती है। इसे कभी-कभी "इंपोटेंस" भी कहा जाता है। यह शारीरिक, मानसिक, और जीवनशैली संबंधित कारणों के कारण हो सकती है।

इरेक्टाइल डिसफंक्शन क्यों होता है?
इरेक्टाइल डिसफंक्शन कई कारणों से हो सकता है, और यह पुरुषों में विभिन्न उम्र और स्वास्थ्य स्तरों में देखा जा सकता है। यहां कुछ मुख्य कारण हैं:
मानसिक तनाव और चिंता: ज्यादातर समय यह स्थिति मानसिक तनाव, चिंता, और दबाव के कारण होती है।
शारीरिक कारण: दिमाग में हार्मोनल परिवर्तन, अधिक शराब पीना, डायबिटीज, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, अधिक मोटापा आदि इसमें भूमिका निभा सकते हैं।
धूम्रपान और नशा: तंबाकू, शराब, और मादक पदार्थों का सेवन भी इस समस्या का कारण बन सकता है।
न्यूरोलॉजिकल कारण: कभी-कभी न्यूरोलॉजिकल समस्याएं, जैसे कि पार्किंसन रोग या मल्टीपल स्क्लेरोसिस, भी इरेक्टाइल डिसफंक्शन का कारण बन सकती हैं।

इरेक्टाइल डिसफंक्शन गंभीर बीमारी
इरेक्टाइल डिसफंक्शन एक गंभीर समस्या हो सकती है, लेकिन यह एक बीमारी नहीं है। यह एक मेडिकल कंडीशन है जो पुरुषों की यौन संबंधों में समस्या उत्पन्न कर सकती है। इसका सम्बन्ध शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक कारकों से हो सकता है।

यद्यपि इसे गंभीर बीमारी के रूप में नहीं देखा जाता है, लेकिन यह पुरुषों के जीवन में प्रभाव डाल सकती है और उन्हें परेशानी में डाल सकती है। यह जीवनशैली, संबंध, और आत्मविश्वास पर भी प्रभाव डाल सकती है।

अगर किसी व्यक्ति को इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या है, तो वह इसे उपचार के लिए चिकित्सक से सलाह लेना चाहिए। डॉ विनोद रैना, दिल्ली के सर्वोत्तम सेक्सोलॉजिस्ट (Best Sexologist in Delhi) है उन्होंने पिछले २५ वर्षो में अपने पेशेंट्स की इस प्रकार की सभी समस्याओं (सेक्सुअल डिसफंक्शन ) को पूर्णतः जड़ से निवारण किया है।

डॉ. विनोद रैना, सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर
पता: इ-34 एकता अपार्टमेंट साकेत, नई दिल्ली – 110017
फ़ोन नंबर: 9873322916, 9667987682


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