भूतों के निवास वाला कुलधरा गाँव


सोचिए कि आप लॉन्ग ड्राइव पर जा रहे हों, रास्ते में कुलधरा गाँव पड़ता हो तो आप क्या करेंगे? आप को पता लग जाएगा कि यह एक शापित गाँव है, जहाँ रात को कोई भी नहीं जाता या ठहरता तो वहाँ जाना सुरक्षित नहीं है। इसलिए आप को भी वहाँ शाम के बाद जाने के लिए स्थानीय लोगों द्वारा मना कर दिया जाएगा। आइए समझते हैं इसके पीछे की कहानी कि क्यों इस गाँव को ऐसा शाप मिल गया और क्यों यहाँ पर शाम के बाद कोई भी आता नहीं है।

कहाँ पर है कुलधरा गाँव

कुलधरा गाँव राजस्थान के जैसलमेर शहर से 18 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम दिशा में 13 वीं शताब्दी में बसा ये गाँव एक समय पर पालीवाल ब्राह्मणों का एक समृद्ध गाँव था। यहाँ रहने वाले ये ब्राह्मण पाली से आए थे, इसलिए पालीवाल कहलाए। इस गाँव के बारे में बहुत अधिक तो वर्णन किताबों में नहीं मिलता है परंतु 1899 में लिखी गयी इतिहास की एक किताब ज़रूर है तवारीख-ए-जैसलमेर, जिसके लेखक लक्ष्मी चंद ने इस गाँव का ज़िक्र किया है। इस किताब के अनुसार काधन नाम का एक पालीवाल ब्राह्मण इस गाँव में आने वाला पहला व्यक्ति था और उसने वहाँ पर एक तालाब की खुदाई करवायी थी। इस तालाब को लोगों ने उधनसर नाम से बुलाना शुरू किया था।

क्यों आज भी शापित है कुलधरा गाँव

यह गाँव शापित क्यों हुआ इसका लिखित वर्णन किसी भी किताब में तो नहीं मिलता है और एक पुरानी कहावत है कि इतिहास में नाम और तारीखों के अलावा कुछ भी सच नहीं होता जबकि फिक्शन में सिवाय नाम और तारीखें के सब कुछ सच होता है। इसलिए निश्चित आधार पर इसके बारे में कुछ भी कहना शायद संभव नहीं है परंतु इसके बारे में एक कहानी जो बहुत पुराने समय से चली आ रही है, उसी को ही सच माना जाता है।

19वीं शताब्दी में इस गाँव का और इसके आस-पास के इलाके का काम-काज यहाँ के मुख्य शासक सलीम सिंह के हांथों में था जो कि एक बदचलन इंसान था और गाँव की बहु-बेटियों पर अक्सर उसकी गंदी नज़र रहती थी। हद तो तब हो गयी जब उसकी गंदी निगाहें वहाँ के मुखिया की बेटी पर भी पड़ गयी। उसने गांव के लोगों को धमकी दी कि अगर उसकी बात मान कर वो लड़की उसे नहीं सौंपी गयी तो वो भयंकर टैक्स लगाएगा।

 

गाँव के लोगों को डराने के लिए और उसने लड़की को सौंप देने को मजबूर करने के लिए अपने सिपाही भेजे। गाँव वालों ने उन सिपाहियों को अगले दिन सुबह लौटने के लिए कहा और उसी दिन रात में ही गाँव छोड़ दिया। लेकिन जाने से पहले पवित्र ब्राह्मणों ने कुलधरा गाँव को श्राप दे दिया कि उनके बाद इस गाँव में कोई भी नहीं बस पाएगा। ऐसा देखा गया है कि जिन लोगों ने भी इस गाँव को फिर से बसाने की कोशिश की, उनको बेहद डरावने अनुभव हुए। ख़ास कर कि रात में यहाँ पर कई अजीबोगरीब घटनायें हुईं थीं जिसके बाद लोगों ने यहाँ शाम के बाद आना ही छोड़ दिया।